गर्वीली चट्टान
तोड़नी है
खरगोश की तरह छलाँगें मारते
हजार- हजार प्रपातों को
कोख में दबाये खड़ी चट्टान
गर्वीली !अनुर्वरा !!
तोड़नी हैं
जेवरा की धारियों सी सड़कों पर पसरी
गतिरोधक रेखाएँ
अनसुलझे प्रश्नों का जाम बढ़ाने वाली
लाल नीले हरे रंग के सिग्नल की बतियाँ
अनचीन्हीं ! अवाँछित !!
तोड़नी हैं अंधी गुफाएँ
जहाँ कैद हैं गाय सी रम्भाती मेघ बालाएँ
दुबले होते दूर्वादल
मनाना चाहते हैं श्रावणी त्यौहार
मधुपूरित! अपरिमित !!
मित्रो ! लाओ कुदाल खुरपी फावड़े
और बुलडोजर
समतल करनी है
ऊँची- नीची जमीन
ऋतम्भरा सी झूम उठे हरितमा
पुष्पाभरणों से
सुसज्जित ! विभूषित !!
nice
Good