गलत पर कर प्रहार

समाज में हो रहा गलत
तेरे भीतर की आत्मा को
झकझोरता नहीं क्या
किसी निरीह की चीत्कार
किसी भूखे की भूख
प्यासे की प्यास
जीवन में व्याप्त दर्द
तेरे भीतर की आत्मा को
झकझोरता नहीं क्या,
शोषित, उत्पीड़ित
उपेक्षित वर्ग के
तिरस्कार का दर्द,
भेदभाव की बात
भूख से बिलखते
बच्चों की रात
उर का दर्द
तेरे भीतर की आत्मा को
झकझोरता नहीं क्या।
घूसखोरी व भ्रष्टाचार
युवाओं का
रह जाना बेरोजगार,
निरीहों पर अत्याचार,
तेरी आत्मा को
झकझोरता नहीं क्या।
झकझोरता है तो
उठा ले लेखनी
लेखनी में पैदा कर धार
गलत पर कर प्रहार,
आवाज उठाने को
तेरा मन झकझोरता नहीं क्या।

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Responses

  1. लेखनी में पैदा कर धार
    गलत पर कर प्रहार,
    आवाज उठाने को
    तेरा मन झकझोरता नहीं क्या।
    _______________ कवि ने समाज में कुछ गलत होने पर आवाज उठाने की बात रखी है। गलत पर, एक सच्चे व्यक्ति का ह्रदय उसे झकझोरता है यही सुंदर संदेश देते हुए कवि सतीश जी की बहुत सुंदर और श्रेष्ठ रचना, लाजवाब अभिव्यक्ति अति उत्तम लेखन

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