गुजारिश

बीते लम्हों से खुलके गुजारिश करनी होगी,
आज फिर डाकिये से सिफारिश करनी होगी,

दबा रखीं थीं एहसासों की चिट्ठियां छिपाकर,
खुलेआम लगता है सबकी रवाईश करनी होगी।।

राही अंजाना

रवाईश- आतिशबाजी

Related Articles

यादें

बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…

हम उन लम्हों

हम उन लम्हों की याद को जेहन में यु संजोये बैठे है रहकर भी दूर जैसे आँखों में बसता है कोई उन लम्हों की सांसें…

Responses

+

New Report

Close