गुरुवर के प्रति

मान हैं
सम्मान हैं
देश की जान हैं।
आम नहीं खास नहीं
राष्ट्र निर्माता हैं शिक्षक।
नाक से नेटा टपक रहा था।
आंसू का कतरा लुढक रहा था।
बाहुपाश में भरकर जिसने अपनाया
वो मेरे भाग्यविधाता हैं वही ज्ञान के दाता हैं।।
ऐसे शिक्षक गुरुगरीष्ट को वन्दन है बारम्बार।
भूलोक से स्वर्गलोक तक खुशियाँ मिले अपार।।
गुरुवर आपके चरणों में कोटि-कोटि नमस्कार ।।

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Responses

  1. वाह, भाई जी बहुत सुंदर कविता है। आपका कविता लिखने के अनूठे तरीके को प्रणाम। 🙏

    1. शुक्रिया बहिन
      ये कोई कविता नहीं
      मैंने अपनी मन के भावों को यथावत लिपिबद्ध कर दिया।
      इसमें कविता का कोई लक्षण देखे तो ये भी गुरदेव की कृपा होगी।

  2. सम्मान हैं
    देश की जान हैं।
    आम नहीं खास नहीं
    राष्ट्र निर्माता हैं शिक्षक।
    वाह वाह, आपकी ये पंक्तियां उच्चकोटि की हैं शास्त्री जी, आपकी लेखनी को प्रणाम।

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