गुरु
ना था रस्ते का पता
ना थी मंज़िल की चाहत
थके ज़िन्दगी से
गुरु के चरणों में मिली राहत
माता पिता ने चलना सिखाया
मिला ना मंज़िल का कोई अता
गुरु के चरणों में शीश झुकाकर
मिला सही गलत का पता
गुरु का रखो मान
उनका ना करो अपमान
गुरु के ज्ञान को धारण कर
अर्जुन बन गया धनुर्धारी महान
गुरु के ज्ञान को स्वीकार करो
इस ज्ञान से अपना उद्धार करो
हर क्षण इनका गुण गाकर
इनके चरणों को प्रणाम करो
गुरु के ज्ञान से सब ठीक हो जायगा
इस ज्ञान रूपी दीपक से
अज्ञान का अंधकार हार जायगा
ज़िन्दगी की दौड़ में
ये ज्ञान काम आ जायगा
हिमांशु के कलम की जुबानी
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - May 23, 2020, 6:38 pm
Nice
Pragya Shukla - May 23, 2020, 8:26 pm
Good
Abhishek kumar - May 23, 2020, 9:06 pm
Waah
महेश गुप्ता जौनपुरी - May 23, 2020, 11:44 pm
वाह