गुरू-शिष्य वार्तालाप
गुरू से पूछा चेले ने,
चलते चलते एक मेले में
ऐसी पत्नी को क्या कहें,
जो पति के साथ खुशी-ख़ुशी रहे
ना करे कभी भी लड़ाई वो,
अच्छी जिसकी लम्बाई हो
सुन्दर भी सबसे ज्यादा हो,
पूरा करती हर वादा हो
ना काम से वो इन्कार करे,
खुशी-खुशी हर काम करे
पति को समझे सदा ही,
ना कोई अभिमान करे
निज बुद्धि का, निज रूप का
ना जिसको हो कोई अहम
गुरू मुस्कुरा कर के बोले..
बेटा , इसको कहते हैं वहम
*****✍️गीता*****
वाह क्या बात है, बहुत सुंदर हास्य रचना है गीता जी। पाठक के होंठों में सुरम्य मुस्कान लाने में सक्षम कविता की रचना की है आपने। यह यथार्थ के साथ-साथ हास्यपुट है, वाह वाह
समीक्षा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सतीश जी । वैसे आपको हंसी आ गई ये ही मेरी कविता की समीक्षा हुई ।
बहुत खूब, वाह
Thanks Allot Piyush ji 🙏
वाह वाह
सादर आभार एवं धन्यवाद भाई जी 🙏
हास्य कविताओं में आपको महारथ हासिल है
अरे वाह, बहुत सारा धन्यवाद और प्यार प्रज्ञा