गुलाब
प्रेमी दिवस को यदि तुम्हें
मैं दे न पाया था गुलाब
तो न समझो बेवफा हूँ
व्यस्त था मैं बेहिसाब।
प्यार की निचली अदालत
में सबूतों की जगह
ले न जाना तुम इसे
टिक न पायेगा खिलाफ़।
प्रेम हो दिल में बसे हो
आज ही ले लो गुलाब
तुम तो मेरी जिंदगी में
खुद खिले से हो गुलाब।
वाह क्या बात है सर, बहुत खूब
बहुत ही लाजवाब कविता, प्रेममयी कविता
Very nice lines wow
Thank you ji
वाह वाह क्या बात है!!!!!! अतिसुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद और नमस्कार शास्त्री जी
श्रृंगार रस से सजी सुंदर कविता । प्रस्तुत कविता में कवि की अपने साथी के प्रति प्रेम व्यक्त करने की कोशिश हुई है । भावना प्रधान रचना, सुंदर शिल्प,और लय बद्ध शैली की प्रधानता है। बहुत खूबसूरत रचना..
कविता की इससे सुन्दर समीक्षा और क्या हो सकती है गीता जी, इस उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद।
Waah
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह पाण्डेय जी, बहुत खूब
सादर धन्यवाद