गोदामों में अनाज न सड़े
गोदामों में अनाज न सड़े
बल्कि जरूरतमंद को मिले
गरीब के भूखे बच्चों को
पेट भरकर खाने को मिले।
सरकारी स्कूलों में
तगड़े नियम लगें,
गरीब के बच्चे भी
उच्चस्तरीय पढ़ें।
मध्याह्न भोजन योजना तक
सीमित न रहें सरकारी विद्यालय
बच्चों के भविष्य को
दिखावटीपन न कर सके घायल।
गरीबों की ओर प्राथमिकता की
दृष्टि रखी जाये,
गरीब गृहणी की भी
खनकती रहे पायल।
बहुत खूब वाह वाह सर
बहुत बढ़िया रचना
अतिसुंदर भाव
निर्धन वर्ग के बारे में विचार करती हुई ,उनकी समस्याओं से अवगत कराती हुई और उसके बारे में उचित समाधान देती हुई कवि सतीश जी की एक बेहतरीन रचना । लेखनी की प्रखरता बयान करती हुई बहुत सुंदर और सटीक रचना