Categories: गीत
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
गीत
चल वहां जहाँ नहीं गम तुम हो वहां और बस हम सागर सी गहरी जीवन गाथा अम्बर तक है ,प्रीत हमारी साथ चलेंगे हर पल…
हम उस देश के वासी है ।।
हम भारत के वासी है, संस्कृति हमारी पहचान है । सारी जहां में फैली हुई, हमारी मान-सम्मान है । सादगी है हमारी सबसे निराली, अजब…
जो आत्मनिर्भर है
1 जो आत्मनिर्भर है, उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दे रही हैं क्यूँ हमारी सरकार? मजदुर अपने बलबूते पर ही जिन्दगी जीते, ये जाने ले हमारी…
वाह
Bahut Dhanyawad 🙂
Very Well Written
धन्यवाद् 🙂
Nice
Thank you !