चश्मे वाले नेताजी!

चश्मे वाले नेताजी!
गजब कमाल करते हैं,
करोड़ों जनों को चुना लगाने का;
जिगरा सरेआम रखते हैं ,
ना खाऊंगा ना खाने दूंगा!
ऐसे-ऐसे वादे तो;
वो खुलेआम करते हैं,
चश्मे वाले नेता जी ,
गजब कमाल करते हैं।

यह सूट बूट ; ये शानो शौकत
महज़ एक औपचारिकता,
असल में नेताजी!
एक फकीर ठहरे!
और फिर गंगा पुत्र हैं नेताजी
मगर ,गंगा अभी मैली ही है,
फिर भी ,भाषण कला एक अस्त्र!
इसका प्रयोग नेताजी;
हर बार करते हैं,
चश्मे वाले नेताजी!
गजब कमाल करते हैं‌।

गरीबों के वो बड़े हिमायती ;
चुनाव में,
मगर आजकल उनसे रूठे है,
कोरोना की महामारी में
कितने गरीब भूखें है!
वादे किए थे देंगे रोजगार,
अब घर-घर में बेरोजगारी हैं,
पर नेता जी ठहरे जुमले बाज!
ऐसे इकरार तो , वो हर बार करते हैं,
चश्मे वाले नेता जी !
गजब कमाल करते हैं।
 
         …..मोहन सिंह मानुष

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Responses

  1. वाह सर, सत्य को इतने शानदार ढंग से उजागर करने का साहस आप जैसे मंझे हुए कवि में ही हो सकता है, वाह

    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर🙏
      मुझे और मेरी कविता को इतना सम्मान देने के लिए

    1. धन्यवाद ऋषि जी
      जय हिन्द
      सच्चाई तो मेरी कविताओं की खास पहचान होती है
      धन्यवाद

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