चांद की छटा

निहार रहे थे,
चांद की छटा को हम,
बीच में ये बादल का टुकड़ा
कहां से आ गया..

*****✍️गीता

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Responses

  1. बहुत ही सुंदर औऱ लाजवाब अभिव्यक्ति, कवि गीता जी ने दो पंक्तियों में प्रभावशाली बात लिख दी। गागर में सागर भरना इसी को कहा जाता है। वाह वाह, लेखनी की इस प्रखरता को अभिवादन

    1. इतनी अच्छी और प्रेरक समीक्षा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी । आपकी इस बहुमूल्य टिप्पणी ने बहुत उत्साह वर्धन किया है सर . बहुत बहुत आभार ।अभिवादन सर 🙏

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