चाय गरम है

चाय गरम है,
मीठा कम है
जीवन में गम है
लेकिन अपने जीने का ढंग भी
क्या कम है।
हमें रुला दे, वक्त में ऐसा
कहाँ दम है।

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Responses

  1. वाह,क्या बात है कमला जी।
    चाय के समय पर चाय की कविता ने चाय पीने का मन करवा दिय।
    Ok bye मैं तो चली चाय बनाने रसोई की और…आप भी अपनी चाय का मज़ा लीजिए..🙂

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