छल

ख्वाबों में आकर वो हमसे रोज़ मिलते रहे,
और हम मासूम बस उनसे यूँहीं छलते रहे।।
राही (अंजाना)

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जहाँ हमें मिलना था वहीं मिलते तो अच्छा था जहाँ दूरियां न होती नजदीकीयां होती वहीं मिलते तो अच्छा था जहाँ फूल खिलते बहारें होती…

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