जनता कर्फ्यू
कहर ढा रही प्रकृति हर पल,
कितनी आहें समेटे भीतर,
हर दरिंदगी, हर हत्या का
चुकता आज हिसाब यही है,
एक तरफ पलड़े में आहें,
एक तरफ संपूर्ण विश्व है,
इतनी बड़ी कायनात पर
एक सुक्ष्म जीव की आज धमक है
एक तरफ सारे आका है,
एक तरफ एक तुच्छ जीव है।
कांप रहे डर से सब थरथर,
घबराहट का हर जगह दंगल।
छीक भी दे तो डर से हाफे
भयाक्रांत हो हर पल कांपे।
दिन हीन जन खुद को पाते,
यमराज साक्षात नजर हैं आते,
अभी एक कहर से उबर न पाए,
दूजी आफत दे रही सुनाएं।
अगले महीने उल्कापिंड आने को है
इस पूरी कायनात से टकराने को है।
तो क्यों ना मित्रों!
परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताया जाए,
समय दिया है कोरोना ने
भागदौड़ से फुर्सत पाए,
जो कीमती समय दे ना पाए इतने सालों,
क्यों न इस बहानेअपने परिवार के साथ कुछ अच्छे पल बिताएं।
कुछ प्रार्थना करें,
भगवान से अपनी कृत्यों की माफी मांगे।
संक्रमण को फैलने से भी रोके,
अनावश्यक घर से बाहर ना निकले,
इन कठिन परिस्थितियों में, खुद को भी बचाएं और संक्रमण ना फैले
घर में रहकर इस कठिन परिस्थिति में अपना सहयोग दें।
22 मार्च जनता कर्फ्यू को सफल
बनाएं।
निमिषा सिंघल
वाह बहुत सुंदर रचना
Dhabyavaad
Beautiful
💞💞
Nice
Dhanyavaad
Nice
Nice