जन्नत की राहें..!!
पहले जैसे सनम !
अब हम ना रहे
जानते हैं ये हम
कुछ बदल से गये…
पर करें क्या बता
है मेरी क्या खता !
तेरे आने से हम कुछ
बदल से गये….
ना रही खुद से यारी
पहले की तरह
तूने दिल में दी दस्तक
हम संवर से गये…
मिल गईं हमको
जन्नत की राहें सनम !
होके तुझमें फना
हम पिघल से गये…
चाहते-चाहते
तुझको माना खुदा !
अपनी हस्ती से भी हम
मुकर से गये…
खो गये तुझमें ऐसे
कि पाया जहान
हाँ, मोहब्बत में हम
कुछ बिगड़ से गये…
सौ दिन के दर्द गर एक दिन में ही मिल जाए तो, यह दिल भला कैसे खुद पे काबू पाएगा।
Thanks
बहुत खूब लाजवाब अभिव्यक्ति
Thanks
Welcome
अतिसुंदर
धन्यवाद