जन्म-दिन का उपहार
शिशु वस्त्रालय के पुतले से,
एक बालक कर रहा था बातें ,
कितने सुंदर वस्त्र तुम्हारे
एक भी ऐसे नहीं पास हमारे।
परसों मेरा जन्म-दिन है,
नए वस्त्र पहनने का मन है,
मां को मालकिन ने पैसे नहीं दिए तो,
नई वस्त्र नहीं आएंगे।
मां के आगे कुछ ना बोलूंगा,
पर नयनों में अश्रु आएंगे,
थोड़ी देर एकान्त में रो लूंगा।
पापा भी तो नहीं हैं मेरे,
मम्मी बोली बन गए तारे।
मैं भी कुछ लेने को आई हूं,
इस बालक की बातें सुनकर
मन में ममता भर लाई हूं।
मैं घर आ गई,
लेकिन उस बालक की बातें,
मेरे मन से ना गई
अगले दिन फ़िर पहुंची उसी दुकान में,
फ़िर उसी बालक की आवाज आई मेरे कान में
वही बालक फिर पुतले से बातें कर रहा था।
मैंने तुरंत एक जोड़ा खरीदा,पैक कराया
और चौकीदार को बुलाया
उस बच्चे तक पैकेट कैसे पहुंचाना है,
यह सब उसको समझाया।
पुतला बोल पड़ा बालक से,
कल तेरा जन्म-दिन है पप्पू,
मेरे पैरों के पास एक पैकेट है देखो,
यह उपहार मेरी तरफ से रखो।
पप्पू हैरानी से बोला, तुम बोलते भी हो..
हां, कभी-कभी बोलता हूं,
तुम जैसे प्यारे बच्चों के आगे मुंह खोलता हूं।
कल अच्छे से जन्म-दिन मनाना,
लो यह नए वस्त्र ही पहनना।
भोला पप्पू पैकेट लेकर चला गया,
एक अजीब सी खुशी मिली मुझे,
मेरी आंख का एक आंसू छलक गया।
_____✍️गीता
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
Suman Kumari - January 30, 2021, 12:27 am
बहुत ही सुन्दर रचना
Geeta kumari - January 30, 2021, 9:51 am
धन्यवाद सुमन जी
Satish Pandey - January 30, 2021, 8:30 am
कवि गीता जी की बहुत सुंदर रचना। संवेदनासिक्त भाव प्रवाहमान भाषा, और वर्णनात्मक शिल्प का सुन्दर तालमेल।
Geeta kumari - January 30, 2021, 9:49 am
उत्साह वर्धक और प्रेरक समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी। अभिवादन सर
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - January 30, 2021, 9:00 pm
अतिसुंदर भाव
Geeta kumari - January 31, 2021, 12:50 pm
बहुत-बहुत धन्यवाद भाई जी 🙏