जरूरत के हिसाब से

जरूरत के हिसाब से , खुद से पहचान हुई
कई हिस्से अब भी अजनबी है मेरे अंदर
राजेश’अरमान’

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

किरदार

खुद की भावनाओं से रिश्ता टूटता रहा, एक नया किरदार अंदर ही अंदर बनता रहा। रिश्तों से रिश्तों तक का सफर तय होता रहा, एक…

Happy Birthday to You Mam

सब की ज़िन्दगी मे कोई ना कोई इंसान ऐसा होता है जो सब से खास, सब से प्यारा होता है। चाहे वो मम्मी या पापा,…

Responses

+

New Report

Close