जर्जर हैं दीवारें

हास्य कविता
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गारंटी है जरा भी हँसी नहीं आयेगी !
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जर्जर हैं दीवारें इसकी
मत तुम जोर लगाओ
रहना है तो रहो नहीं तो
तुम यहाँ से जाओ
दूसरे भी हैं लगे लाइन में
मेरा दिल तो हाउसफुल है
जो देखे कहे यही
ये लड़की तो ब्यूटीफुल है
मैं उनमें से नहीं कि तेरे
बहाऊं आँसू
तेरी माँ को देख सामने
बोलूं पांय लागूं सासू
मैं हूँ आज की नारी
जीवन व्यस्त बड़ा मेरा है
मेरे आगे-पीछे तो
लड़कों का डेरा है
स्वीटहार्ट हूँ किसी मैं तो
किसी की जानेमन हूँ
सारी लड़कियां मांगे पानी
मैं ही नंबर वन हूँ..

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Responses

  1. वाह, प्रज्ञा , सबसे पहले तो गारंटी देख के ही हंसी आ गई थी ।
    बहुत सुंदर कविता। लड़की ब्यूटीफुल कर गई चुल.. बहुत सुंदर हास्य रचना ।

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