जल्दी जल्दी में (हास्यव्यंग्य)
श्याम का समय,
बहुत जल्दी में थे वे लोग,
तेज तेज कदमों में,
अजीब सी हलचल,
चेहरे पर रोनक,
कुछ पाने की लालसा,
एक के बाद एक,
गुजर रहा था हर शख्स,
मन में मेरे भी पली जिज्ञासा ,
आखिर क्या हुआ है,
कोई अनहोनी या कोई सुखद घटना,
अरे! बहुत जतन से पता चला,
गांव से बाहर एक ठेका खुला।
हा हा.. ठेके के खुलने पर लोगों की प्रतिक्रिया का बहुत ही सजीव चित्रण किया है आपने
😊 बिल्कुल सर
धन्यवाद
बहुत खूब
बहुत बहुत हार्दिक अभिनन्दन
वाह वाह, बहुत ही सुंदर लिखा है
बहुत बहुत धन्यवाद
क्या बात है
काफी अच्छी है
सादर धन्यवाद
खूब
🙏
लोगों का शराब के प्रति इतना प्रेम
बहुत ही सजीव चित्रण
🙏🙏