जल, ढूंढते रह जाऐंगे
जल, ढूंढते रह जाऐंगे
प्यासा कौवा जुगाड़ से,
पानी ऊपर ला रहा।
जल की कीमत मूक पक्षी,
वास्तव में पहचान रहा।।
हम मनुष्य दिमाग वाले,
व्यर्थ जल बहा रहे।
लापरवाही की हद,
से भी ऊपर जा रहे।।
दो नल घर में हैं,
ट्यूबवेल गली में।
थोड़ी दूर ही कूआं है,
वहीं पास तालाब है।।
मत रहो भ्रम में बंधु,
ये सब सूख जाऐंगे।
आज ध्यान नहीं दिया,
तो कल बहुत पछताएंगे।।
अब भी बचालो पानी को,
तभी जीवन जी पाएंगे।
वरना एक दिन पृथ्वी पर,
जल ढूंढते रह जाऐंगे।।
राकेश सक्सेना, बून्दी
9938305806
अब भी बचालो पानी को,
तभी जीवन जी पाएंगे।
वरना एक दिन पृथ्वी पर,
जल ढूंढते रह जाऐंगे।।
—– कविवर सक्सेना जी आपके द्वारा बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर अपनी लेखनी चलाई गई है। जल ही जीवन है। जल बिना जीवन नहीं है। इस ओर ध्यान देना बहुत जरूरी है। आपकी लेखनी को सैल्यूट।
धन्यवाद् सर🙏
हम मनुष्य दिमाग वाले,
व्यर्थ जल बहा रहे।
लापरवाही की हद,
से भी ऊपर जा रहे।।
___________जल दिवस पर व्यर्थ जल ना बहाने के लिए प्रेरित करती हुई कवि राकेश सक्सेना जी की बहुत उम्दा रचना,सुन्दर प्रस्तुति
जल, ढूंढते रह जाऐंगे
प्यासा कौवा जुगाड़ से,
पानी ऊपर ला रहा।
जल की कीमत मूक पक्षी,
वास्तव में पहचान रहा।।
हम मनुष्य दिमाग वाले,
व्यर्थ जल बहा रहे।
लापरवाही की हद,
जल दिवस पर बहुत ही शानदार प्रस्तुति