ज़िंदगी क्या है
जिंदगी क्या है
बचपन के उस रफ काॅपी पे लिखी किसी चीथडी सुलेख सी है जिसे हम फेयर काॅपी पे उतारने का ख्वाव सजाऐ दिन रात लगे रहतें है ।
अनजाने शहर में अनजाने लोगों के बीच 8 से 8 की क्लास में खुद को खफाऐ जा रहे है।
Factory की चिमनी से निकलते धूऐं में खुद को कब तक गलाते रहेगें
खाने के लिए कमा रहे है लेकिन समय से खा नहीं पा रहे।
रोज सुबह की शुरुआत बाॅस से लगने बाली फटकार से बचने की नाकाम कोशिश से शुरू होती है।
और शाम को उदास मन से उस कमरे में दाखिल होते हैं जहां सिर्फ अकेलपन को कैद किऐ कमरे की चार दिवारे होती है।
सोचते हैं आखिर क्या पाना है जिसकी कोशिश में सब कुछ खोते जा रहे है।
क्या उस रफ काॅपी पे लिखी चीथडी सी सुलेख को फेयर पे उतारना जरूरी है क्या।
कब तक अपने आत्मसम्मान को ऐसे ही टूटते देखूंगा………. आखिर कब तक………….
@AtulFarrukhabadi
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - January 13, 2021, 2:31 pm
बहुत खूब
Atul Kumar - January 13, 2021, 2:38 pm
Thank you
Rishi Kumar - January 13, 2021, 5:24 pm
सुन्दर रचना
Atul Kumar - January 13, 2021, 5:27 pm
Thanks