ज़िन्दगी की उलझनें

ये ज़िन्दगी की उलझनें,
काश ! कि ना होती
ये गमों के साए,
पीछे-पीछे ही चले आए
बहुत रोके हमने मगर,
आंखों में अश्क चले ही आए
आप मिले ज़िन्दगी में,
एक सुकून सा आया
सलामत रहें आप,
हमारी यही हैं दुआएं

*****✍️गीता

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Responses

  1. मेरे मन के भावों को आपने अपनी आवाज दे दी गीता दी..
    शिल्प एवं भाव के साथ ही भाषा भी प्रबल और सराहनीय है

    1. समीक्षा हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद प्रज्ञा । भावनाएं ही तो हैं , जो हमें एक दूसरे से जुड़ाव महसूस करवाती हैं । बहुत बहुत शुक्रिया

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