जागो

जागो मनुज जागो ,
जनहित में कल्याण करो

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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आह्ववाहन

देश वासियों जागो, जागो जागो जागो, इतने बलिदानों से आजादी जो पाई, मूल्य उसका पहचानो, जागो,जागो,जागो। बीत गया जो काल कठिन था,। मुश्किल था रहना…

जागो हे भरतवंशी

जागो हे भरतवंशी अलसाने की बेर नहीं । सहा सबकी साज़िशों को,करना है अब देर नहीं ।। शालीनता की जिनको कदर नहीं,विष के दाँत छिपाये…

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