जाने क्यों

जाने क्यों नदिया सागर से मिल जाती है ,
मिलो का रास्ता तय कर सागर को
मंजिल क्यों बनाती है !
पवित्र है, पावन है, निर्मल जल की धारा है,
खारे पानी मे मिलना जाने क्यों इसे गवारा है !
हिमालय की बिटिया है ये ,
मेरी माँ मुझसे कहती थी
रखती है दृढ़ निश्चय अपना
चाहे चले जिस भी रास्ते पर
सागर से मिल जाती है!
सागर का अस्तित्व बचाने को अपना
अस्तित्व मिटाती है !
जाने क्यों नदिया सागर मे मिल जाती है !

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