जीत तक न बैठिए

साँस है जब तलक
तब तलक संघर्ष से
जीतिये जहान पूरा
जीत तक न बैठिए
छोड़िए मत कुछ अधूरा।
निकलिए राह में
उठाइये कदम अपने,
आज नहीं तो कल
आपको मिलेगी मंजिल।
थकिये मत, घबराइए मत
आप निडर रहेंगे तो
बाधाएं आपसे डरेंगी,
कठिनाइयां सरलता बनकर
खुद-ब-खुद राहों से हटेंगी।
खुद की राहों का उजाला
खुद जलकर कीजिये,
मुश्किलों का सामना
डटकर कीजिये।
सब जो करें करें
लेकिन आप कुछ
हटकर कीजिये,
लेकिन अपने सपने
सच कर लीजिए।

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

पुनर्विवाह (Part -2)

पुनर्विवाह (Part -2) विवाह संस्कार अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण हैं, किसी भी महिला के लिए विधवा होने के दर्द से बड़ा दर्द, दुनिया में…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

लॉक डाउन २.०

लॉक डाउन २.० चौदह अप्रैल दो हज़ार बीस, माननीय प्रधान मंत्री जी की स्पीच । देश के नाम संबोधन, पहुंचा हर जन तक । कई…

Responses

  1. “सब जो करें करें लेकिन आप कुछ
    हटकर कीजिये,लेकिन अपने सपने सच कर लीजिए।’
    बहुत सुंदर और प्रेरक काव्य रचना है कमला जी । सुन्दर कथ्य और बेहतरीन शिल्प के साथ बहुत ख़ूबसूरत कविता

+

New Report

Close