टिम टिम करते लाखों तारे
टिम टिम करते लाखों तारे
***********************
टिम टिम करते लाखों तारे।
देखो लगते कितने प्यारे।।
सुन्दर आकास सजा है ऐसे।
हीरे-मोती से थाल भरा है जैसे।।
बैठ के अंगना सदा निहारूँ।
एक भी मोती कभी न पाऊँ।।
एक तो आओ मेरे आंगन।
साथ में खेलूँ होय मगन।।
एक तारा जब टूटा था।
शुभ सगुन ये छूटा था।।
एक मनौती पूरण कर दो।
खाली झोली मेरी भर दो।।
चंदा को अपने पास रखो।
चंदा सम वीरा खास करो।।
सबकी मनौती पूरी होती।
तभी तो नाहीं गिनती घटती।।
*********बाकलम*********
बालकवि पुनीतकुमार ‘ऋषि ‘
बस्सी पठाना (पंजाब)
बहुत खूब, पुनीत
आपके आशीर्वाद का आकांक्षी
बहुत सुंदर, पुनीत की अति सुंदर रचना, वाह, खूब आगे बढ़ो
आपके आशीर्वाद का आकांक्षी ए
चांद और तारों पर बहुत सुंदर बाल रचना लिखी है पुनीत ने।
Very good Puneet ,keep it up
आपके आशीर्वाद का आकांक्षी
बिल्कुल भाई जी मेरी ओर से शुभाशीष
बहुत सुंदर 👌👌
धन्यवाद
Bahut sundar rachana
धन्यवाद