टुन की आवाज होती है
तीस किमी दूरी तय करने में
पांच बार बाइक रोकता हूँ,
मोबाइल खोलकर
व्हाट्सएप पर
उसका मैसेज खोजता हूँ।
फिर आगे बढ़ता हूँ,
फिर टुन की आवाज होती है
बेचैनी बढ़ती है,
मेरी बाइक रुकती है,
फिर व्हाट्सप खोजता हूँ,
उफ्फ अब भी मैसेज नहीं,
फिर चलता हूँ,
फिर रुकता हूँ
समय ऐसे ही बीतता है
जमाना इसे मेरी
मोहब्बत कहता है।
अतीव सुन्दर, बहुत खूब
बहुत धन्यवाद
हा हा हा बहुत अच्छा हो रहा है सतीश जी ।बोरियत भी नहीं होती होगी । दैनिक जीवन की एक आम सी घटना को हास्य का बहुत ही अच्छा तड़का लगाया है ।वैसे कभी ना कभी मैसेज आ ही जाता होगा
बहुत ही शानदार प्रस्तुति ।कमाल की लेखनी सर, सैल्यूट
हा हा हा, आज हास्य का दौर चल रहा है।
जी लगता तो यही है अच्छा ही है.
वाह, हास परिहास की बेहतरीन रचना
बहुत बहुत धन्यवाद
Hahaha..
हद हो गई भाई
हा हा हा, धन्यवाद प्रज्ञा बहन
अतिसुंदर भाव
सादर धन्यवाद जी