डांट
कविता- डांट
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ओ शब्द
गूंज रहा,
सामने होकर,
सौ सवाल कर रहा|
सुधर गए,
समझ गए,
संभल गए,
या किसी की बातों में,
फिसल गए,
नारियल से सीख,
गन्ने से सीख,
क्रोध, ग्लानि
घृणा महसूस हो,
चला जा गाँवों में
कुम्हार की
थपकी से सीख
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***✍ऋषि कुमार “प्रभाकर”
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - October 15, 2020, 12:21 pm
बेहतरीन
Rishi Kumar - October 15, 2020, 2:53 pm
Tq
Pragya Shukla - October 15, 2020, 2:44 pm
बहुत उच्चकोटि की रचना हम पढ़ते ही रह गये
Rishi Kumar - October 15, 2020, 2:54 pm
बहुत बहुत धन्यवाद
Geeta kumari - October 15, 2020, 4:06 pm
बहुत ख़ूब