तन्हाई

इस मायूस दिल को कौन समझाये
मोहब्बत में बस तन्हाई ही मयस्सर है

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

एक ग़ज़ल

एक ग़ज़ल  जो मेरे बेहद अज़ीज़ दोस्त को समर्पित है …. _________________________________ तुम्हारे चाहने वाले को क्यों आहें मयस्सर हैं ? नमी आँखों में लब…

Responses

+

New Report

Close