तुझ बिन बात नहीं होती
भरी हो हुस्न से महफ़िल , तुझ बिन बात नहीं होती
गरजते हो घने बादल , मगर बरसात नहीं होती
रचायी ना हो मेहँदी तो , दुल्हन खास नहीं होती
सितारे व्यर्थ ही चमके यूँ ही जगमग मगर सुन ले,
जब तक चाँद ना निकले , कहीं पर रात नहीं होती ।।
Good
सुन्दर रचना