Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
चिड़ियाघर
एक दिन गया मैं चिड़ियाघर, एक भी जानवर न था वहां पर । यह देख मैं रह गया हैरान, हर पिंजरे में था एक इंसान…
पिंजरे में कैद पंछी
किसी पिंजरे में कैद पंछी की तरह जैसे हमारा मन भी कैद हो गया है, सामने खुली चांदनी नजर आती है पर चार दिवारियों के…
एक पंछी
पिंजरे में कैद एक पंछी हूँ मैं, माना कि बंद हूँ पर एक जीव हूँ मैं, है मुझमे भी सांसें और दिल फिर क्यों नहीं…
Nice Nice
ty
सुन्दर रचना
धन्यवाद
गुड
बहुत खूब
बहुत सुंदर।