तुम्हारे आने की खबर सुन कर
अच्छा लगा |
आओ
मैं प्रतीक्षा में हूँ
लम्बी क़तर में खड़ा
पंजों के बल
उचक उचक कर
जैसे कोईइन्तजार करता है
-टिकिट विंडो पर |
आओ
जैसे पूरनामी हवाओं के
कन्धों पर बैठ कर आती हैं
रुई सी मुलायम बदलियाँ
-किचन्दन वन से आते हैं
सुगंध के शावक |
आओ
फूलों की बिछावन वाला पालना
मैंने सजाया है
तुम्हें दुलराऊंगा
झुलाऊंगा
बैंजनी धागों में बँधी
स्वचालित बारवीडॉल
जाएगी नगमें
धीरे धीरे धीरे |
कि तुम्हारी अधखुली आँखों में
तैरने लगें सपने
ऊँचे शिखरों पर
दीपशिखा सजाने वाले सलोने सपने
नील गगन में सैटेलाइट
की तरह प्रवेश करने वाले सपने
चन्द्रमा के हाथों वाइलिन सौंपने
या धरती की नाभि में रोपने
– ब्रह्मकमल |
सच मानो मेरी आत्मजे !
मैं तुम्हारेसपनों को आकर दूंगा
किजावा कुसुम से अरुणाभतुम्हारे
अधरों पर
आजीवन खेलती रहे निश्छल हँसी
तुम आओ तो |
@डॉ. मनोहर अभय
Nice