” तुम और हसींन ख़्याल तुम्हारे “

तुम्हारे भीतर छिपे हुए
मैं उन सवालों को पूरा करने लगें ,
तो समझना कि तुम मेरा ये प्रेम
तुम्हारे दर पर दस्तक देने लगा है ।
और जब उसकी यादें तुम्हें हर बार
उसकी गैर-मौजूदगी का एहसास कराएं,
तो जान लेना, तुम्हारा दिल अब
उसे खोने से भी अब डरने लगा है ।
जब एक विशेष प्रकार की खुशबू हर रोज़
तुम्हारे आसपास होने का भ्रम देने लगे,
तो मान लेना तुम और हसींन ख़्याल तुम्हारे
उसी पर आकर ही अब रुकने लगा है ।
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