तू कुछ कर गुजर..बस कुछ कर गुजर.
हर अंधेरे को एक सवेरा मिलता है
हर कांटो के ताज पर फुल खिलता है।
फिक्र क्यूं करना समस्याओ की हे मनूष्य?
हर काले बादल को एक रोशनी का किनारा मिलता है।
संघर्ष किए बिना जीत नही मिलती है।
हर तूफान मे भी एक नयी कली खिलती है।
बीज बोना हमारा तो बस एक काम है।
हर अंधेरी रात को भी भोर की जमी मिलती है।
अाकाश की गहराई की परवाह मत कर
हर परिस्थिती मे तू जवाब खोजता चल।
फिक्र ना कर शोर मचाने वलो की
तू कुछ कर गुजर..बस कुछ कर गुजर..।
ये फिजा यू नही है इतनी भी बेखबर
बस तू अपनी मंजील की तलाश कर..।
हर समस्या के पहाड पर तू देता जा ठोकर
बस तू कर गूजर..कूछ कर गुजर…।
डॉ रमेश सिंह पल के बारे में अधिक जानने के लिए उनकी पर्सनल वेबसाइट पर जाये
http://apanaswaroop.com
बहुत ही प्रेरक रचना है, बहुत सुंदर
Very good
बहुत ही लाजवाब
बेहतरीन