Categories: शेर-ओ-शायरी
Related Articles
ऐसा वक्त कहाँ से लाऊँ
कविता – ऐसा वक्त कहाँ से लाऊं वेफिकरी की अलसाई सी उजली सुबहें काली रातें हकलाने की तुतलाई सी आधी और अधूरी बातें आंगन में…
अल्फाज कहां से लाऊं?
दिल में छिपे जो जज्बात है उनके लिए अल्फाज लाऊं कहां से? खुरेडे जा रहे जो मेरे दिल को अंदर ही अंदर उन्हें बयान करने…
संगदिल हमराज
ताज है मोहताज, सरताज कहाँ से लाऊँ। बना रखा है ताज, मुमताज कहाँ से लाऊँ। साथ निभाने का वादा करते थे कल तक, बीता हुआ…
ज़िंदगी तुम बहुत ही खूबसूरत हो…
ज़िंदगी तुम बहुत ही खूबसूरत हो… ………………..++++……………….. ज़िंदगी तुम बहुत ही खूबसूरत हो… सूनसांन बंजर राहों से हो कर गुज़रती हो फिर भी हँसती खिलखिलाती…
इस कफ़स में वो उडान, मैं कहॉ से लाऊं
इन परों में वो आसमान, मैं कहॉ से लाऊं इस कफ़स में वो उडान, मैं कहॉ से लाऊं (कफ़स = cage) हो गये पेड…
अतिसुंदर
वाह
धन्यवाद