तेरा मेरा रिश्ता
तेरा तिरछी नजर से देखते रहना मुझको
बेपनाह प्यार की बक्शीश सा लगता है
फिर एक ख्वाब आंखों में ठहर जाता है
दिल में एक शर र सी सुलगती है
मेहताब फिर आज जमी पे दिखता है।
जानते हैं हम कि आतिश से खेलते हैं
फिर भी ना जाने
यह खेल बेनजीर सा लगता है।
इश्क की खातिर पशेमान हुए
जमाने के बजम में
दिमागी फितूर सा लगता है।
ए मेहताब गुजारिश तुमसे
तेरे बिन जीना जिंदान सा लगता है
जमाने से ना डर मकबूल सनम
तेरा मेरा रिश्ता रूहानियत का लगता है
कजा से जो तू मुझे मिला दिलबर,
कुबूल हुई सारी मुरादों सा लगता है।
अज़ाब आये या दिखाएं अदावत यह जहां
अब तो रूह से रूह का मिलना
नवाजिश लगता है
तगाफुल ना करना पाकीजा इश्क को मेरे
तेरा मेरा मिलना तय था यकीन लगता है।
श र र=चिंगारी
मेहताब=चांद
बेनजीर=अनुपम
पशेमां=लज्जित
बजम=सभा
ज़िंदा न=जेल
मकबूल=प्रिय
तगाफुल=अनदेखा
निमिषा सिंघल
Good
G
??
Nice
Thank you
Good one
Thank you
Good
😊
Aabhar
वाह बहुत सुंदर रचना
,,😃😃
बहुत खूब कहा
Thank you
Thank you