Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
निर्झर झरता गीत
यह गीत धरा का धैर्य गर्व है, नील–गगन का यह गीत झरा निर्झर-सा मेरे; प्यासे मन का …. यह गीत सु—वासित् : चंदन–वन…
Khamoshiya (खामोशियां )
,,,,,,,मैरी हजारो बातें हजारो लोगो के बीच यू गूम हो सी जाती है, मेरी वही अनकही सी बातें जुबां पर आते आते ना जाने क्यू…
एक वक़्त वो भी था
पिछले साल की बात 2020 का एक वक़्त वो भी था, एक वक़्त वो भी था, जब हम अजनबी हुआ करते थे, एक वक़्त वो…
जब भी वो आ जाती है
जिंदगी में उम्मीदें जैसे दोबारा आ जाती है इस कदर से खुमारी उसकी मुझपे छा जाती है। यारो तुम्हें पता है ऐसा कब होता…
तेरी खामोशियां आज भी
गीत गाती हैं
लबों पर मेरे
_______ बहुत खूब, कवि प्रज्ञा जी की, रूमानियत से भरी हुई सुंदर कविता
धन्यवाद
उत्तम
धन्यवाद
अति सुंदर रचना
धन्यवाद
बहुत सुंदर
धन्यवाद
सुन्दर प्रस्तुति
धन्यवाद
धन्यवाद
धन्यवाद