तेरी तस्वीर

जब एहसासों को शब्दों में उतार न सकी मेरी कलम,

तब स्याही की हर बून्द ने मिलकर तेरी तस्वीर बना ली।।

राही (अंजाना)

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तुम

तुम कुछ यूँ ज़रूरी बन गए कि तुम्हे भुला ना सकी, इस बात को किसी और को बता ना सकी, इस दिल का भोज कभी…

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