Categories: शेर-ओ-शायरी
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तुम
तुम कुछ यूँ ज़रूरी बन गए कि तुम्हे भुला ना सकी, इस बात को किसी और को बता ना सकी, इस दिल का भोज कभी…
तुम महज एक तस्वीर हो
तुम महज एक तस्वीर हो मैं जानता हूँ कि, तुम महज इक तस्वीर हो ओर उससे आगे कुछ भी नहीं मगर दिल ये कहता है…
“शब्दों के सद्भाव”
” माँ ” ——- शब्दों के सद्भाव ^^^^^^^^^^^^^^^^^^ मानवता भी धर्म है जैसे इन्सानियत मज़हबी नाम, शब्दों के सद्भाव भुलाकर जीवन बना लिया संग्राम |…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
“कलम और स्याही”
ओ विरह की वेदना ! मुझको पकड़ा दो कलम साथ में दे दो मुझे रात की तन्हाइयां और दो मुझको तुम रंग-बिरंगी स्याहियां अधखुली-सी इक…
Waah
Thank you
Waah
Thank you
Good