तेरे संघर्ष की लड़ाई
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यूँ थककर ना बैठ मुसाफ़िर
अभी तेरी मंज़िल नहीं आई
शायद–चलेगी कुछ देर और
तेरे संघर्ष की लड़ाई……….
थककर यूँ बैठ गए अगर—
राहे भी आसान ना होगी
ज़मानें की रुसवाईयाँ भी–
राहों की पहचान ना होगी
वक़्त का पहिया घूम रहा घर्र-घर्र
सच्चाई–अच्छाई से मेहनत सजकर
क़दम हो अगर बिश्वास भरा—
मंज़िल तुम्हें लेगी आग़ोश में हँसकर
तो,ज़िन्दग़ी भी हो खुश”रंजित””
तेरी मेहनत का ईनाम देगी–
तेरे संघर्ष की लड़ाई——–
तुझे पहचान–ज़मानें को पैगाम देगी..||
——- रंजित तिवारी “”मुन्ना””
पटेल चौक, कटिहार
(बिहार)
पिन०– 854105
Bahut Khob Ranjeet JI
Awesome