थक चुका हू मा
थक चुका हू माँ
मुझे सोने दे
इस झूठे दुनिया से
पक चुका हू
मुझे अपने साथ ले ले
स्वार्थ से चलते लोग
मुखौटे पहने लोग
सरल पेड़ कटते जाते है
सरलता और मूर्खता मे कोई भेद नहीं है
दुनिया मे सबसे पाक तेरा प्यार है
सबसे कीमती तेरा साथ है
जो किस्मत वालों को नसीब होता है
मै आ रहा हू माँ
मेरे लिए डाल भात बनाना
मेरे लिए इंतज़ार करना घर मे
इस दुनिया मे कितने पैसे बनाते हो
यह मतलब नहीं रखता
मतलब रखता है
कितने पक्के रिश्ते तुमने कमाए
कितने रोते चेहरे तुम्हारे जनाज़े मे है
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Pt, vinay shastri 'vinaychand' - January 13, 2021, 4:33 pm
अतिसुंदर रचना
Antariksha Saha - January 13, 2021, 6:09 pm
धन्यवाद
Rishi Kumar - January 13, 2021, 5:23 pm
उम्दा रचना
Antariksha Saha - January 13, 2021, 6:09 pm
धन्यवाद
Satish Pandey - January 13, 2021, 11:01 pm
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है।
“कितने पक्के रिश्ते तुमने कमाए
कितने रोते चेहरे तुम्हारे जनाज़े मे ”
— अत्यंत उम्दा पंक्तियाँ
Antariksha Saha - January 14, 2021, 2:08 pm
धन्यवाद
Geeta kumari - January 14, 2021, 11:18 am
सुन्दर अभिव्यक्ति
Antariksha Saha - January 14, 2021, 2:08 pm
ध्न्यावाद