दिल दियान गल्लां

सुण वे महिया, सुणंदा जा वे,
की केंदा है तेनु मेरा ए छल्ला ।
दिलां विच ही ना रै जावे,
थोड़ी तू वी सुण जा मेरे दिल दियां गल्लां ।।

मेरे दिल नू तोड़ तू मूडया या ही नहीं,
बेरुखिया तेरी मेरा दिल भूल्या ही नहीं ।
ईक वारी आके देख ता एदा हाल,
कल्ले बैके सुणदे हां असी अपने ही दिल दिया गल्ला ।।

ऐहो दिल विच कदी तेरा वसेरा सी,
एहो दिल मेरा कदी तेरा वी सी।
मेरे दिल दी हुक बुलावे तेरा नां हर पल,
तक दी है तेरी ही राह, ते करदी है तेरीया ही गल्ला ।।

तेरे ज्यां मेरा दिल नई इना पक्का,
करदा है आज वी इंतजार, क्यों की प्यार है सच्चा ।
आजा पलट के ईक वार जद तक है सांसा,
देर करेगा ते कौन दसेगा तेनु मेरे दिल दियां गल्ला ।।

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Responses

  1. बहुत सुंदर भाव हैं गुरमीत जी। विरह वेदना का बहुत सुंदर वर्णन..
    मुझे थोड़ी थोड़ी पंजाबी समझ आती है।

  2. फिल्मी गाना दिल दियां गल्ला शीर्षक बहुत लाजवाव है
    आतिफ असलम की आवाज में…
    उसी प्रकार आपकी कविता भी लाजवाब है

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