Categories: मुक्तक
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तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है,…..! (गीत)
तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है,…..! (गीत) तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है, कल्पना कवि की है, वंचना कवि की है, वंचना कवि…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मत समझना कि नादान कवि हूँ
मत समझना कि नादान कवि हूँ बहकी बहकी सी कविता कहूंगा जिस तरफ बह रही हो हवा धूल सा उस दिशा को बहूँगा। राज दरबार…
कविता बहती है
कविता बहती है कविता तो केवल व्यथा नहीं, निष्ठुर, दारुण कोई कथा नहीं, या कवि शामिल थोड़ा इसमें, या तू भी थोड़ा, वृथा नहीं। सच…
प्रिय बापू
मेरे प्रिय बापू रंग गोरा काला कहकर रंग भेद की आग जलती हैं,तबतब इस चिगांरी बुझाने को मसीहा तेरी कमी खलती हैं।तब तब आगे बढ़ने…
कुछ लोग ऐसे ही होते हैं
सादर धन्यवाद जी
बहुत सुंदर रचना है
सादर धन्यवाद
Nice
Thanks
Nice
Dhanyawad