दीप

दीप जलता रहा,
जब बहुत देर तलक
लौ भी टिमटिमाने लगी,
लो तेल भी हुआ ख़त्म
और उसकी जान भी,
डगमगाने लगी….

*****✍️गीता

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. दीप जलता रहा,
    जब बहुत देर तलक
    लौ भी टिमटिमाने लगी,
    लो तेल भी हुआ ख़त्म
    और उसकी जान भी,
    डगमगाने लगी….
    बहुत ही जबरदस्त वाह, गागर में सागर भरा है।

  2. इस उच्च कोटि की समीक्षा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद सतीश जी बहुत बहुत शुक्रिया 🙏

New Report

Close