‘दुःख की गगरी’
मुश्किल बहुत है
खुशियों की तिजोरी भरना
दुःख की गगरी भरने में
दो पल नहीं लगते
झूम जाता है मन
जब कोई अपना कह देता है…
अपनेपन के लिए
तरसता रहता है जीवन
नये सिक्के की तरह है
हमारा ये रिश्ता
थोड़ा घिस जाये
तब पता चल जायेगा कि
कैसा है ???
बहुत सुंदर कविता, उम्दा अभिव्यक्ति
धन्यवाद
सुंदर अभिव्यक्ति
धन्यवाद
अतिसुंदर भाव
धन्यवाद
धन्यवाद