दुनिया हैं जनाब
रंग-बिरंगे नज़ारे हैं बेहिसाब..
खो न जाना इन नज़ारो में.. ज़रा सम्भलना,
यह दुनिया हैं जनाब।
साथ बैठ के खाते जिस संग,
वहीं दगा कर जाते हैं और बड़ी-बड़ी बातें करते बेहिसाब,
ज़रा सम्भल कर यह दुनिया हैं जनाब।
नकाबी चहरे को देख कर दिल की बातें है बताइ जाती
सच्चे हीरें को फेका जाता.. ‘कह कर यह हैं खराब..
ज़रा सम्भल कर.. यह दुनिया हैं जनाब
Nyc
Good
nice
बहुत खूबसूरत
Thanq
nice poem Hemlata
Thanq
nice
बहुत खूब
Thank you
👌
अच्छा है
अच्छी पंक्तियाँ
सही कहा है आपने पंक्तियां सुंदर हैं
Very nice