दोस्ती और मुहब्बत
मुहब्बत में कभी-कभी,
घर छूटते हैं
मुहब्बत में अक्सर ही,
दिल टूटते हैं
दोस्ती की देखो,
निराली ही शान है
दोस्ती के सिर पे,
ना कोई इल्ज़ाम है
मुहब्बत के मैं, विरुद्ध नहीं,
बशर्ते मुहब्बत हो शुद्ध और सही
एक बार मुहब्बत,
हो जाए किसी से
फ़िर दुबारा भी हो,
वो तो मुहब्बत नहीं है
दोस्ती का रिश्ता,बड़ा ही पाक है
दोस्ती के दामन पर, ना कोई दाग है
एक बार ही मुकम्मल,
हो जाए इस जहां में मुहब्बत
ये ही क्या कोई कम बड़ी बात है
हाथों में गर हाथ है किसी का,
होली है दिन और दीवाली की रात है
दोस्ती की अपनी अलग ही शान है,
दोस्ती का कुछ अलग ही मान है ..
*****✍️गीता
ये कविता मैंने एक चुनौती के तहत स्वीकार की है । मैं दिल्ली में एक शिक्षिका हूं और मेरी सह शिक्षिकाओं ने मुझे दोस्ती और मुहब्बत का फर्क समझाती हुई कविता लिखने को बोला था ।यदि आपको मेरी कविता पसंद आई हो तो कृपया अपने-अपने विचार साझा करें
🙏 🙏 धन्यवाद
बिल्कुल सही लिखा है, बहुत कमाल लिखा है।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका कमला जी🙏
बिल्कुल सही है।
सादर आभार सर 🙏 बहुत बहुत धन्यवाद
कवि गीता जी द्वारा चुनौती स्वीकार कर मोहब्बत और दोस्ती का अंतर दर्शाती बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ सृजित की हैं। कवि का कथ्य सुस्पष्ट और सही है। मोहब्बत दिलों का पवित्र जुड़ाव है, मुहोब्बत एक बार होती है, एक के साथ होती है, सैद्धांतिक तौर पर मुहोब्बत की परिणिति जीवन साथी बनने और दाम्पत्य जीवन से जुड़ने में होनी चाहिए परंतु इस मुकाम तक पहुंचने में कई मानवजन्य, पुरातनता जन्य कठिनाइयां भी सामने आती हैं। किसी को मोहब्बत में मुकाम हासिल हो पाता है किसी को नहीं। उसमें दिल टूटते हैं, दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है, समाज की पैनी नज़रों का शिकार होना पड़ता है। लेकिन दोस्ती अलग है, उसमें दिल टूटने आदि बातें नहीं होती हैं। दोस्त एक दूसरे की कठिनाइयों में मदद करते हैं एक दूसरे को प्रोत्साहन देते हैं।दोस्ती में परस्पर सम्मान का जुड़ाव होता है।
बहुत खूब कविता
वाह सतीश जी आपने मेरी कविता के बारे में इतनी सुन्दर और सटीक समीक्षा दी है कि मुझे बहुत खुशी हो रही है , लगता है कविता लिखना सार्थक रहा ।आप ने पूरी कविता की इतनी सुन्दर व्याख्या की है कि सारी कविता का सार ही समाहित हो गया है ।आपकी इस बहुमूल्य समीक्षा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद एवम् आभार ।आपकी लेखनी की प्रखरता को प्रणाम ।
वाह बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद पीयूष जी 🙏
अतिसुंदर भाव
बहुत बहुत धन्यवाद आपका भाई जी 🙏ये स्नेह यूं ही बना रहे।
सही कथ्य है प्यार और दोस्ती के परिप्रेक्ष्य में..
यह सत्य है कि दोस्ती निश्छल होती है और प्रेम टेड़ी खीर है…
सुन्दर समीक्षा हेतु हार्दिक धन्यवाद प्रज्ञा जी ।सही बात कही