Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
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प्यार अंधा होता है (Love Is Blind)( Last Part)
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
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रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं ।
रिश्तों के बाजार में अब तो नाते बिकते हैं । मात-पिता को छोड़ अब वह सुत प्यारा, अब तो सास श्वसुर के पास रहते हैं…
अति उत्तम रचना
धन्यवाद पीयूष जी
अतिसुंदर भाव
बहुत-बहुत धन्यवाद भाई जी🙏
जब वक्त मिले तो पढ़ लेना,
पढ़ लेना रिश्तों की किताब
कुछ रिश्ते मिलते हैं जन्म से,
कुछ रिश्ते देता है यह समाज
—— बहुत सुंदर रचना, कवि गीता जी ने सहज और गहरे अर्थ को समाहित करती सुन्दर पंक्तियाँ प्रस्तुत की है।
आपकी सुंदर समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत आभार पीयूष जी
वास्तव में बहुत खूब रचना है
बहुत-बहुत धन्यवाद पीयूष जी, बहुत आभार
कवि गीता जी की यह कविता मानवीय अनुभवों और जीवन के सूक्ष्म निहितार्थों से जुड़ी हुई सुन्दर कविता है। भाषा में प्रवाह है, एक लय है। कवि ने कम से कम शब्दों में सारगर्भित और प्रभावपूर्ण बात कही है।