*दोस्ती का रिश्ता*

जब वक्त मिले तो पढ़ लेना,
पढ़ लेना रिश्तों की किताब
कुछ रिश्ते मिलते हैं जन्म से,
कुछ रिश्ते देता है यह समाज
किन्तु निज चुनाव से जो रिश्ता,
पुष्पित-पल्लवित होता है हृदय में,
वो रिश्ता, दोस्ती का होता है लाजवाब
_____✍️गीता

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Responses

  1. जब वक्त मिले तो पढ़ लेना,
    पढ़ लेना रिश्तों की किताब
    कुछ रिश्ते मिलते हैं जन्म से,
    कुछ रिश्ते देता है यह समाज
    —— बहुत सुंदर रचना, कवि गीता जी ने सहज और गहरे अर्थ को समाहित करती सुन्दर पंक्तियाँ प्रस्तुत की है।

  2. कवि गीता जी की यह कविता मानवीय अनुभवों और जीवन के सूक्ष्म निहितार्थों से जुड़ी हुई सुन्दर कविता है। भाषा में प्रवाह है, एक लय है। कवि ने कम से कम शब्दों में सारगर्भित और प्रभावपूर्ण बात कही है।

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