धनतेरस की शुभकामना

अवतार लिए धन्वंतरि सुधा कुम्भ ले हाथ।
आरोग्य के हैं देवता नमित करो निज माथ।।
आधि व्याधि सब मिटे होय जगत कल्याण।
धनतेरस की शुभकामना विनय करे प्रदान।।
धनपति श्री कुबेर की कृपा रहे दिन रात।
विनयचंद की प्रार्थना सबजन हित सौगात।।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

लॉक डाउन २.०

लॉक डाउन २.० चौदह अप्रैल दो हज़ार बीस, माननीय प्रधान मंत्री जी की स्पीच । देश के नाम संबोधन, पहुंचा हर जन तक । कई…

जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)

वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…

Responses

    1. आपने समृद्ध भाषा का प्रयोग करते हुए
      सागरमंथन से प्रकट हुए धंवन्तरि वैद्य जी के दर्शन अपनी कविता में कराये हैं
      एवं कुबेर जी जो धन धान्य के कुलपति हैं की कृपा बनाए रखने की बात कही है जो श्रेयस्कर है

  1. अति सुन्दर रचना है भाई जी, आरोग्य के देवता धनवंतरी जी अमृत कलश ले कर प्रकट हुए थे समुंद्र मंथन में और धन के देवता कुबेर जी का भी आह्वान है ।

+

New Report

Close