धरती

किसके कहने पे ये डाली झूम- झूम इठलाती है,

तेज हवा के झोंके से ये पत्ती क्यूँ गिर जाती है,

बारिश की ये बूँद भला क्यूँ खुदपर इतना इतराती है,

धरती से मिल जब अपना ये वजूद ढूंढती रह जाती है।।

राही (अंजाना)

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