धूप

धूप समेटकर अपने सुनहरी वसन,
चल पड़ी प्रीतम से करने मिलन
ओढ़ कर सितारों भरी काली चुनर
पलकों में सुनहरे ख्वाब सजाकर
कर के वादा कल फिर आने का जग से,
दुनियाँ को देने दीप्ति आकर
साॅंझ सखी से मिलकर जाती,
वादा निभाने धूप अगले दिन फिर है आती॥
_____✍गीता

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

*धूप*

धूप समेटकर अपने सुनहरी वसन, चल पड़ी प्रीतम से करने मिलन ओढ़ कर सितारों भरी काली चुनर पलकों में सुनहरे ख्वाब सजाकर कर के वादा…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Responses

New Report

Close